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लेखनी प्रतियोगिता-कविता-वो यादें-विजय पोखरणा "यस"-05-Jan-2023

💓💓वो यादें💓💓

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भुलाए नहीं भूल सकते
वो अचानक मुलाकात
ट्रेन के सफर में
दोनों कि आंखे चार होने का

कोई अदृश्य शक्ति का
तूझे मुझे मिलाना
लगता है बरसो कि पहचान
बरबस तेरी और खिंचा चला जाना   

तेरी जुल्फों का यू लहराना
मुस्कराहट का जादू
फिजा में सुगंध का फैलना
स्वर्ग कि अनुभूति सा आभास

सब कुछ भूल कर तूझे निहारते जाना
एक दूसरे कि आंखों में खो जाना
कभी खत्म न होने वाली बातें करना 
मंत्र मुग्ध सा तेरी बातें सुनना

एक अपूर्व आनंद का आभास
स्वर्ग कि सी विजयी प्रेरणा
लगता पूर्णिमा कि अनुपम छटा
वो तेरा वादा जीवन में अपार खुशियो का
अंतिम सांस तक अविस्मरणीय
शायद ही नहीं पक्का वो यादें
चिर स्मरणीय हरदय पर अंकित
शाश्वत मृत्यु पर्यन्त अमिट वो यादें

✍️ विजय पोखरणा "यस"
अजमेर 

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12 Comments

Sachin dev

06-Jan-2023 06:10 PM

Well done

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VIJAY POKHARNA "यस"

06-Jan-2023 09:59 PM

Thanks 🙏

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Abhilasha deshpande

06-Jan-2023 12:39 PM

Osm poem

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VIJAY POKHARNA "यस"

06-Jan-2023 05:40 PM

Thanks 🙏

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Punam verma

06-Jan-2023 08:58 AM

Very nice

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VIJAY POKHARNA "यस"

06-Jan-2023 11:12 AM

🙏

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